शुक्रवार, 28 जून 2019

हम तो हारे

आंख झपकी नहीं, रात सोई नहीं
मुझसे मत जागने का सबब पूछिए
वो जो सोए शब भर बड़े चैन से
हम क्यों रोए ये हमसे मत पूछिए
आंख....


हम तो हारे, मोहब्बत की कब्र बन गए
ज़ख़्म उनका भी जल्दी भरेगा नहीं
हम तो उतनी मोहब्बत कहीं सींच दें
उनको मुझ सा मोहब्बत कोई करेगा नहीं
हम तो ....


कल को मेहंदी रचेगी जब हाथ में
रस्म हल्दी की जब भी की जाएगी

जोड़ा शादी का होगा जब सामने

मेरी तस्वीर आंखों में जी जाएगी
मेरे आंसू बनेंगे सैलाब जब
कौन डूबेगा हमसे ये मत पूछिए

कल....

आंख झपकी नहीं, रात सोई नहीं
मुझसे मत जागने का सबब पूछिए
वो जो सोए शब भर बड़े चैन से
हम क्यों रोए ये हमसे मत पूछिए

आंख....

मंगलवार, 25 जून 2019

मिसरा

वक्त नहीं लगता है भरोसा खोने में
जीवन बीत जाता है मोतबर होने में
जिन्हें फिक्र नहीं एहसास के समंदर की
वो क्या जानें, कितना लहू बहता है रोने में  

मंगलवार, 18 जून 2019

मिसरा

उसने देखा नहीं यूं मंज़र होना
सूनी आंखों का समंदर होना
उसको गुमान है अपनी
चालाकियों पर
हमको आता है कलंदर होना

गुरुवार, 13 जून 2019

सपनों के कातिल


एक नन्ही सी चिड़िया वो उड़ना जो चाहे
उसके पर कतरने को सैय्याद खड़ा है
क़दम दर क़दम वो है जाल बिछाता
ले हाथ में खंजर वो जल्लाद खड़ा है

वो नन्ही सी आंखों में उड़ने के सपने
वो नील गगन में सवंरने के सपने
वो सपने जिन्हें सच करने की खातिर
वो चली घोसला छोड़, जहां थे सब अपने

वो दूर गगन में हैं तारे बुलाते
वो दूर चमन में फूल प्यारे बुलाते
वो उड़ना है चाहे गगन में, चमन में
वो उड़ना है चाहे मस्त पवन में

अभी तो बस उड़ना सीखा है उसने
अभी तो बस सपनों को सींचा है उसने
अभी आंधियों से ना लाड़ना है सीखा
अभी कूट जालों से ना बचना है सीखा

उसे क्या पता है सैय्यादों की चालें
उसे क्या पता कैसे बिछती हैं जालें
उसे क्या पता कोई कैसे अड़ा है
उसे क्या पता है सैय्याद खड़ा है

एक नन्ही सी चिड़िया वो उड़ना जो चाहे
उसके पर कतरने को सैय्याद खड़ा है


मंगलवार, 11 जून 2019

इश्क की बाज़ी

वो दो नयना प्यारे हैं-3
जिन आंखों में डूबे हम
ये सब क़िस्से दिल के हैं
कुछ आंसू हैं कुछ हैं ग़म

वो दो नयना प्यारे हैं-3

जिन आंखों में डूबे हम

एक मुद्दत से मिलते रहे-3
एक मुद्दत से बिछड़े हम
यूं तो हर दिन साथ रहे
फिर भी दूरी नापे हम

कतरा-कतरा आंसू हैं
हर धड़कन की आहें हम
जीते-जी ना छोड़ेंगे
इश्क की ये राहें हम

वो दो नयना प्यारे हैं-3

जिन आंखों में डूबे हम

शनिवार, 8 जून 2019

लोकतंत्र का मुर्दाघर

ना टीवी ना अखबार चलेगा
लोकतंत्र के मुर्दाघर में
अब केवल जय-जयगान चलेगा

लाठी-डंडा, पुलिस-सिपाही
हर ज़ुबान पर हिटलरशाही
गली-गली बंदूकें लेकर
हिटलर का चौकीदार चलेगा
लोकतंत्र के मुर्दाघर में
अब केवल जय-जयगान चलेगा

संविधान एक थोथी पोथी
कोर्ट-कचहरी सब बपौती
कानूनों की कान उमेठे
तानाशाह बीच बाजार चलेगा
लोकतंत्र के मुर्दाघर में
अब केवल जय-जयगान चलेगा

मंगलवार, 4 जून 2019

मिसरे

दिल की बातों से बेख़बर होगी
आंसुओं से ना तर-ब-तर होगी
उसको चाहिए अभी बड़ा ओहदा
उसको मोहब्बत की ना कदर होगी

वो जो हंसते हैं मेरे ग़म पे अभी
खुदा करे कि वो ना रोएं कभी
उनके हिस्से के ग़म भी मेरे हों
इश्क में उनका दिल दुखे ना कभी

धड़कनों को संभाल लूंगा मैं
ग़म को सांसों में ढाल लूंगा मैं
उसको दुनिया में नाम करना है
खुद को नग़मों में डाल दूंगा मैं

तन्हा

 वो जो किसी दिन तुम्हें चुभा होगा  देखना  गौर से  वो टूटा  होगा बिखर जाने का लिए मलाल वो भरी महफ़िल में भी तन्हा होगा।