दिल की बातों से बेख़बर होगी
आंसुओं से ना तर-ब-तर होगी
उसको चाहिए अभी बड़ा ओहदा
उसको मोहब्बत की ना कदर होगी
वो जो हंसते हैं मेरे ग़म पे अभी
खुदा करे कि वो ना रोएं कभी
उनके हिस्से के ग़म भी मेरे हों
इश्क में उनका दिल दुखे ना कभी
धड़कनों को संभाल लूंगा मैं
ग़म को सांसों में ढाल लूंगा मैं
उसको दुनिया में नाम करना है
खुद को नग़मों में डाल दूंगा मैं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें