एक नन्ही सी चिड़िया
वो उड़ना जो चाहे
उसके पर कतरने को
सैय्याद खड़ा है
क़दम दर क़दम वो है
जाल बिछाता
ले हाथ में खंजर वो
जल्लाद खड़ा है
वो नन्ही सी आंखों
में उड़ने के सपने
वो नील गगन में
सवंरने के सपने
वो सपने जिन्हें सच
करने की खातिर
वो चली घोसला छोड़,
जहां थे सब अपने
वो दूर गगन में हैं
तारे बुलाते
वो दूर चमन में फूल
प्यारे बुलाते
वो उड़ना है चाहे
गगन में, चमन में
वो उड़ना है चाहे
मस्त पवन में
अभी तो बस उड़ना
सीखा है उसने
अभी तो बस सपनों को
सींचा है उसने
अभी आंधियों से ना
लाड़ना है सीखा
अभी कूट जालों से ना
बचना है सीखा
उसे क्या पता है
सैय्यादों की चालें
उसे क्या पता कैसे
बिछती हैं जालें
उसे क्या पता कोई
कैसे अड़ा है
उसे क्या पता है
सैय्याद खड़ा है
एक नन्ही सी चिड़िया
वो उड़ना जो चाहे
उसके पर कतरने को
सैय्याद खड़ा है
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