शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

मौन पीड़ा

वृंदावन की इन्हीं गलियों में
एक द्वारिका हम गढ़ लेते
मेरे इन भावों को तुम
कभी समझ भी पाए क्या ?
मैं तो कान्हा बन जाता
तुम राधा बन पाए क्या ?

मेरी पलकों से जब कल-कल
यमुना की जलधार बही
और हृदय के अंतसपुर से
पीड़ा की रक्तधार बही
तूने मेरे उर के छाले कभी सहलाए क्या ?
मैं तो कान्हा बन जाता
तुम राधा बन पाए क्या ?

मैं तो समरक्षेत्र में था
रण जारी था मक्कारों से
तन-मन दोनों आहत थे
लांछन के कटु प्रहारों से
पीड़ा ने जब-जब तड़पाया
तुमने दर्द कभी सहलाए क्या ?
मैं तो कान्हा बन जाता
तुम राधा बन पाए क्या ?

प्रेम ही यमुना से संगम है
प्रेम की गंगा है अति पावन
मेरे इन भावों को तुम
कभी समझ भी पाए क्या ?
मैं तो कान्हा बन जाता
तुम राधा बन पाए क्या ?

गुरुवार, 19 सितंबर 2019

कौन बेवफा


एक मुद्दत से जिनपर भरोसा किया
वो भरोसा मेरा हादसा हो गया
बात उनकी करूं या मैं खुद की करूं
वफा किसने की, कौन बेवफा हो गया
एक मुद्दत से जिनपर भरोसा किया

वो समझते रहे इक तिजारत इसे
देखते-देखते क्या से क्या हो गया
अब तो इक दिन जला दूंगा इस दिल को मैं
इतना बेबस मेरा ये सिला हो गया
एक मुद्दत से जिनपर भरोसा किया
वो भरोसा मेरा हादसा हो गया

अबकी टूटा तो फिर ना मैं जुड़ पाऊंगा
देखो, कैसा अजब माजरा हो गया
रह न जाएगा दिल पर भरोसा मेरा
कुछ इस कदर वाकया हो गया
एक मुद्दत से जिनपर भरोसा किया
वो भरोसा मेरा हादसा हो गया
बात उनकी करूं या मैं खुद की करूं
वफा किसने की, कौन बेवफा हो गया









शुक्रवार, 13 सितंबर 2019

मिसरा


तेरी आंखों में चमकूं ऐसे कि माहताब हो जाऊं
हर्फ-हर्फ जुगनू चमकें, मैं वो किताब हो जाऊं
ऐ चांद, रोज़ उतरा कर तू यूं ही छत पर
मैं किनारों पर डूब जाऊं, शब-ए-आफताब हो जाऊं

बुधवार, 11 सितंबर 2019

रोक लो मुझको

बंध गया सामान मेरा
अब जाने को तैयार
रोक लो मुझको, अगर है प्यार

मैं यहीं हर रोज़ हूं नज़रें बिछाता
हर सुबह उम्मीद की किरणें जगाता
पर ढले जैसे यहां यह दिन बेचारा
आस सारे यही सूरज है डूबाता
हंसता मुझ पर ये संसार
रोक लो मुझको अगर है प्यार

ये समय तो बीतता ही जाएगा
कुछ तो है जो टीसता ही जाएगा
बाग़ के ये फूल भी चुभने लगेंगे
हंस, मृग और कोयल भी सुनने लगेंगे
विरह की ये वेदना अपार
रोक लो मुझको अगर है प्यार

कल को कोई गीत ना सुनाएगा
प्रेम के दो छंद ना फिर गाएगा
गंगा की लहरें भी उनसे रूठेंगी
और यमुना तट भी आंख दिखाएगा
प्रेम का ये छंद ना हो बेकार
रोक लो मुझको अगर है प्यार

बंध गया सामान मेरा
अब जाने को तैयार
रोक लो मुझको, अगर है प्यार















रविवार, 8 सितंबर 2019

मिसरा


दो कदम और साथ दे दो तो संभल जाऊंगा
मैं चराग हूं तूफानों से लड़ जाऊंगा
मेरी चाहत है रौशनी फैलाने की
मैं बाती की तरह तेरी खातिर जल जाऊंगा

शुक्रवार, 6 सितंबर 2019

मिसरा


कि दस्तक दे दी है हमने
तेरी दहलीज पर आकर
भटके हैं तेरे दिल की
कुंडी को खटका कर
कि सुन ले चांद तू
क्या आजमाएगा मोहब्बत को
कि आशिक हम भी हैं पगले
मानेंगे तेरे दिल को धड़का कर

तन्हा

 वो जो किसी दिन तुम्हें चुभा होगा  देखना  गौर से  वो टूटा  होगा बिखर जाने का लिए मलाल वो भरी महफ़िल में भी तन्हा होगा।