सोमवार, 4 जनवरी 2021

रोज जलते रहे, रोज़ मचलते रहे

जब से बिछड़े हो हमसे, भरोसा हुआ

लौट आओगे एक दिन जलाकर दिया

एक उम्मीद है, एक आस बंधी

हम न होंगे जुदा एक आस लगी

तेरी यादों की राहों पर चलते रहे-2

रोज़ उभरते रहे, रोज़ ढलते रहे-2

 

अपनी दहलीज पर एक दीया जला

अपनी तकती निगाहों को दे हौसला

खून आंसू बने और जिगर धो गए

आंखें रहती हैं नम और जुगनू खो गए

बिछुड़न की ये ज्वाला धधकती रही

अपनी ही अगन में हम जलते रहे

रोज़ उभरते रहे, रोज़ ढलते रहे-2

 

जब भी होली, दिवाली मनी हर जगह

आई ईद सजी जब गली हर जगह

मेरी आंखों में डूबी सी यादें रहीं

तेरी यादों की रिमझिम बरसातें रहीं

हम दहकते रहे, हम मचलते रहे

रोज़ उभरते रहे, रोज़ ढलते रहे-2

हम दहकते रहे, हम मचलते रहे।

...असित नाथ तिवारी...

  05-01-21

रविवार, 3 जनवरी 2021

गिद्ध है तू

 लाशें देख इतराने वाले

नोंच-नोंच कर खाने वाले


नीच-पतित सिद्ध है तू

हां, गिद्ध है तू।


नोटबंदी का नाग फुंफकारा

जन-जन का तू है हत्यारा


हत्यारों के कुनबे में प्रसिद्ध है तू

हां, गिद्ध है तू।


सड़कों पर मजदूर मर गए

सैंकड़ों घर से दूर मर गए

बेबस भारत चीख रहा था

तू थाली-ताली पीट रहा था


नरभक्षी पूर्णतः अशुद्ध है तू

हां, गिद्ध है तू


दहलीज पर तेरे जवान मरे हैं

धरती मां की संतान मरे हैं

पेट सबका पालने वाले

भारत के किसान मरे हैं

धनपशुओं के तलवे चाट

मोर के संग तेरा अट्टहास


   भारत भाग्य विधाता के विरुद्ध है तू

हां, गिद्ध है तू।


... असित नाथ तिवारी...

तन्हा

 वो जो किसी दिन तुम्हें चुभा होगा  देखना  गौर से  वो टूटा  होगा बिखर जाने का लिए मलाल वो भरी महफ़िल में भी तन्हा होगा।