तुमको खोकर जो भी पाया
सब झूठा है
सच कहता हूं रब झूठा है
जिनके सम्मुख जोड़े मैंने
हाथ प्रार्थनाओं में झुक कर
अश्रु से धोए मैंने जिनके चौखट
घंटों रुक कर
पत्थर से ज्यादा न निकले
मंदिर-मंदिर बैठे भगवान
मेरी आहें जब भी निकलीं
बहरे हो गए उनके कान
जानता हूं भाग्य मेरा मुझसे रूठा है
सच कहता हूं रब झूठा है
पाषाणों ने सुनी ही कब है
प्रेम की पीड़ा, प्यार की भाषा
उन बहरे भगवानों से क्यों
पाले हृदय कोई अभिलाषा
देवों आगे जो चढ़ता
हर वो सिक्का खोटा है
सच कहता हूं रब झूठा है।
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