वक्त नहीं लगता है
भरोसा खोने में
जीवन बीत जाता है
मोतबर होने में
जिन्हें फिक्र नहीं
एहसास के समंदर की
वो क्या जानें, कितना
लहू बहता है रोने में
झूठों के सारे झूठ भी नहले निकल गए साहब हमारे दहलों के दहले निकल गए फर्जी जो निकली डिग्री तो है शर्म की क्या बात वादे भी तो सारे उनके जुमल...
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