उसने देखा नहीं यूं मंज़र होना
सूनी आंखों का समंदर होना
उसको गुमान है अपनी
चालाकियों पर
हमको आता है कलंदर होना
सूनी आंखों का समंदर होना
उसको गुमान है अपनी
चालाकियों पर
हमको आता है कलंदर होना
झूठों के सारे झूठ भी नहले निकल गए साहब हमारे दहलों के दहले निकल गए फर्जी जो निकली डिग्री तो है शर्म की क्या बात वादे भी तो सारे उनके जुमल...
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