शुक्रवार, 25 जनवरी 2019

मैं राग तू छंद


ये समझ-समझ का ही फेर है
जो समझ गया वो सुलझ गया
जिन आंखों में उतरा था तू
उन्हीं आंखों से अब उतर गया
ये...
मेरे सामने वो जो मोड़ था
ले जाता वो तुझ ओर था
मुझे आंधियों ने बचा लिया
मैं तिनका सा फिर संभल गया
ये...
मेरे सामने एक नदी जो थी
गंगा ना सही बहती तो थी-2
एक बूंद मेरी प्यास थी
बस घाट की जो तलाश थी
जो आस थी वो डूब गई
मैं किनारों से ही फिसल गया
ये...
मुझे प्यास थी मैं झुका नहीं
वो बहाव था वो रुका नहीं
ये तो लहरों का ही खेल है
कोई पार है कोई बह गया
ये समझ-समझ का ही फेर है
जो समझ गया वो सुलझ गया

मैं फूल था वो सुगंध था
मैं राग था वो छंद था
जो बिखर गए वो पराग थे
जो बचा रहा वो सवंर गया
ये समझ-समझ का ही फेर है
जो समझ गया वो सुलझ गया

मिसरा

तुमने दोस्ती निभाने का वादा किया था, जो टूट गया, जाने दो
कोई अक़बा का वादा नहीं था जो टूट गया, जाने दो
वो बात जो अब बहुत पुरानी हो चुकी है
है मुझे याद, तुम्हें भी है याद, अब जाने दो
तेरी ज़ुबां पर फिर वही तराने आने लगे हैं
लो एक बार फिर मैं डूब गया, जाने दो।

शुक्रवार, 18 जनवरी 2019

उनसे मेरा पैगाम कह दे


कोई उनसे मेरा पैगाम कह दे
नयनों की भाषा आम कर दे
जो बात कही जाती दिल से
कहते हैं चार नयन मिल के
वो बात कोई खुलेआम कह दे
नयनों की भाषा आम कर दे ।

कुछ क़िस्से पुराने भूलें हम
कुछ क़िस्से पुराने भूलें वो
जो कहना है दोनों सरेआम कह दें
आओ, नयनों की भाषा आम कर दें।

कोई बोझ न मन का ढोना हो
चुपके-चुपके ना रोना हो
कोई बात न अटकी रह जाए
कोई याद न भटकी रह जाए
उनके मन में मेरा कोई कोना हो
मेरे दिल में उनका कोई कोना हो
कोई उनसे मेरी मुस्कान कह दे
नयनों की भाषा आम कर दे।

ये प्रेम पवित्र गंगाजल है
दिल से जानो ये निश्छल है
पावन रिश्ते की कहानी है
खुशबू सी उड़ के आनी है
भक्ति के भावों से पनपी
नयनों से बहता पानी है
बस इतना कोई एहसान कर दे
कोई उनसे मेरा पैगाम कह दे
नयनों की भाषा आम कर दे।

मंगलवार, 8 जनवरी 2019

मिसरा


उनसे सलीके से अपनी बात रखिए
दिल निकाल दीजिए, एहसास रखिए
गर है मोहब्बत तो इकरार कीजिए
आंखों से निकाल कर जज्बात रखिए

रविवार, 6 जनवरी 2019

यादें


जब रात को सूरज खो जाता है
फिर चांद कहीं जा सो जाता है
इक हूक सी दिल में उठती है
दो आंखें नदियां हो जाती हैं
पर याद तेरी ना जाती है

फिर तारे सारे खो जाते हैं
पंछी नभ में फिर गाते हैं
उम्मीदों का सूरज आता
कलियां भी खिल जातीं हैं
पर याद तेरी ना जाती है

मिसरा

दामन मेरा कभी आंसुओं से नम नहीं हुआ
दुनिया समझती रही कि मुझे ग़म नहीं हुआ
होठों पे ताउम्र जिनके बद्दुआ रही
इश्क़ उनसे भी हमारा कम नहीं हुआ

शुक्रवार, 4 जनवरी 2019

प्रेम अमर है


दो नयन मिले, दो दिल धड़के
दो भौंरों का गुनगुन गान हुआ
जो राधा की भक्ति समझ गया
वो मीरा का विषपान हुआ
संगम की ऐसी धारा का ये
गंगा-जमुना सा पानी है
जब से धरा-गगन हैं ये
तब की ये अमर कहानी है-2

जब फूल खिले उपवन में तो
जब धानी मंजरियां इठलाई थीं
जब प्रेम पद स्पर्श पाकर
हो जीवित अहिल्या इतराई थी
धरती की प्यास बुझाने को
जब से गगन धाम में पानी है
अरे, जब से धरा-गगन हैं ये
तब की ये अमर कहानी है-2

बादल-सागर से शुरू हुई
आदम-हव्वा का रूप लिया
राधा के नयनों से टपकी
जैनब-अबुल ने रोक लिया
खुसरो के सपनों में आई
लैला-मजनू की बलिदानी है
अरे, जब से धरा-गगन हैं ये
तब की ये अमर कहानी है-2

पथिक प्रेम का तुम बनना
संयम की गरिमा साथ रहे
नफरत का सागर सूखेगा
बस हांथों में तेरा हाथ रहे
कलियों पर भौंरों का दीवानापन
जीवन की असल निशानी है
अरे, जब से धरा-गगन हैं ये
तब की ये अमर कहानी है-2

बुधवार, 2 जनवरी 2019

अच्छा लगता है


 देख मुझे तेरा शर्माना अच्छा लगता है
आसपास यूं ही आ जाना अच्छा लगता है
मुझको तेरी फिक्र नहीं, ऐसा कहना ठीक नहीं
मेरी बातों पर तेरा मुस्काना अच्छा लगता है

मेरी फिक्र तुझे भी होगी, यादें भी आती होंगी
भोलेपन से वो भाव छुपाना अच्छा लगता है
चुपके से नजरें मिल जाना अच्छा लगता है
मुड़-मुड़ कर वो देख के जाना अच्छा लगता है
देख मुझे तेरा शर्माना अच्छा लगता है

पास बैठने को पल भर भी कई बहाने होते हैं
बिना बात के भी बतियाना अच्छा लगता है
कुछ पल साथ बिताए वो पल अच्छा लगता है
तिरछी नजरों का वही तराना अच्छा लगता है
देख मुझे तेरा शर्माना अच्छा लगता है

शाम को सूरज भी जाता है, बिछुड़न होती धरती से
लौट के कल वहीं आना है, अच्छा लगता है
मुझसे राग मिलेगा तेरा, नया तराना छेड़ेंगे
बिन गाए गीतों को सुनाना अच्छा लगता है
देख मुझे तेरा शर्माना अच्छा लगता है।

मिसरा

 झूठों के सारे झूठ भी नहले निकल गए साहब हमारे दहलों के दहले निकल गए  फर्जी जो निकली डिग्री तो है शर्म की क्या बात  वादे भी तो सारे उनके जुमल...