शुक्रवार, 17 नवंबर 2023

हम हैं बिहारी

 खा के भर पेट लिट्टी-चोखा, चलते गमछा झार के 

हम हैं बिहारी भइया हम हैं बिहार के 

डूबते सूरज को अर्घ्य हम देते, उगते को परनामी

धरती मइया को अगोरते, भंइसी को दाना-पानी

बंबई, दिल्ली, कलकत्ता में.... हो$$$$$

बंबई, दिल्ली, कलकत्ता में चमकें हम कपार पे

हम हैं बिहारी भइया, हम हैं बिहार के

ठेकुआ, पिड़ुकिया छान के चलते गमछा में सत्तु सानें

मारें रिजल्ट हम आइएएस के, करते हम कप्तानी

आ चना चबाने भरी खूब चबावें हो$$$$$$

चना-चबेना खूब चबावैं करें मेहनत खूब मजूरी

चोरी-ठगी हमको ना आवै, आवै ना जी हुजूरी

हमरे पसीनवा से चमके है देशवा संसार में

हम हैं बिहारी भइया हम हैं बिहार के 

बोरा-झोरा ले के निकलते, डिग्री ले के आते

कुदाल फावड़ा टोकरी उठा के संसद हम ही बनाते

चंद्रयान को भी रच देते, पुल-पुलिया भी गढ़ देते

अरे हमरे बदन से टपके पसीनवा ठेठ ईमान के

हम हैं बिहारी भइया हम हैं बिहार के 

 

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तन्हा

 वो जो किसी दिन तुम्हें चुभा होगा  देखना  गौर से  वो टूटा  होगा बिखर जाने का लिए मलाल वो भरी महफ़िल में भी तन्हा होगा।