कोई उनसे मेरा पैगाम कह दे
नयनों की भाषा आम कर दे
जो बात कही जाती दिल से
कहते हैं चार नयन मिल के
वो बात कोई खुलेआम कह दे
नयनों की भाषा आम कर दे ।
कुछ क़िस्से पुराने भूलें हम
कुछ क़िस्से पुराने भूलें
वो
जो कहना है दोनों सरेआम कह
दें
आओ, नयनों की भाषा आम कर दें।
कोई बोझ न मन का ढोना हो
चुपके-चुपके ना रोना हो
कोई बात न अटकी रह जाए
कोई याद न भटकी रह जाए
उनके मन में मेरा कोई कोना
हो
मेरे दिल में उनका कोई कोना
हो
कोई उनसे मेरी मुस्कान कह
दे
नयनों की भाषा आम कर दे।
ये प्रेम पवित्र गंगाजल है
दिल से जानो ये निश्छल है
पावन रिश्ते की कहानी है
खुशबू सी उड़ के आनी है
भक्ति के भावों से पनपी
नयनों से बहता पानी है
बस इतना कोई एहसान कर दे
कोई उनसे मेरा पैगाम कह दे
नयनों की भाषा आम कर दे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें