जब रात को सूरज खो जाता है
फिर चांद कहीं जा सो जाता
है
इक हूक सी दिल में उठती है
दो आंखें नदियां हो जाती
हैं
पर याद तेरी ना जाती है
फिर तारे सारे खो जाते हैं
पंछी नभ में फिर गाते हैं
उम्मीदों का सूरज आता
कलियां भी खिल जातीं हैं
पर याद तेरी ना जाती है
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