रविवार, 6 जनवरी 2019

यादें


जब रात को सूरज खो जाता है
फिर चांद कहीं जा सो जाता है
इक हूक सी दिल में उठती है
दो आंखें नदियां हो जाती हैं
पर याद तेरी ना जाती है

फिर तारे सारे खो जाते हैं
पंछी नभ में फिर गाते हैं
उम्मीदों का सूरज आता
कलियां भी खिल जातीं हैं
पर याद तेरी ना जाती है

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तन्हा

 वो जो किसी दिन तुम्हें चुभा होगा  देखना  गौर से  वो टूटा  होगा बिखर जाने का लिए मलाल वो भरी महफ़िल में भी तन्हा होगा।