दो कदम और साथ दे दो
तो संभल जाऊंगा
मैं चराग हूं
तूफानों से लड़ जाऊंगा
मेरी चाहत है रौशनी
फैलाने की
मैं बाती की तरह तेरी खातिर जल जाऊंगा
झूठों के सारे झूठ भी नहले निकल गए साहब हमारे दहलों के दहले निकल गए फर्जी जो निकली डिग्री तो है शर्म की क्या बात वादे भी तो सारे उनके जुमल...
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