बंध गया सामान मेरा
अब जाने को तैयार
रोक लो मुझको, अगर
है प्यार
मैं यहीं हर रोज़
हूं नज़रें बिछाता
हर सुबह उम्मीद की
किरणें जगाता
पर ढले जैसे यहां यह
दिन बेचारा
आस सारे यही सूरज है
डूबाता
हंसता मुझ पर ये
संसार
रोक लो मुझको अगर है
प्यार
ये समय तो बीतता ही
जाएगा
कुछ तो है जो टीसता
ही जाएगा
बाग़ के ये फूल भी
चुभने लगेंगे
हंस, मृग और कोयल भी
सुनने लगेंगे
विरह की ये वेदना
अपार
रोक लो मुझको अगर है
प्यार
कल को कोई गीत ना
सुनाएगा
प्रेम के दो छंद ना
फिर गाएगा
गंगा की लहरें भी
उनसे रूठेंगी
और यमुना तट भी आंख दिखाएगा
प्रेम
का ये छंद ना हो बेकार
रोक लो मुझको अगर है
प्यार
बंध गया सामान मेरा
अब जाने को तैयार
रोक लो मुझको, अगर
है प्यार
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