बुधवार, 11 सितंबर 2019

रोक लो मुझको

बंध गया सामान मेरा
अब जाने को तैयार
रोक लो मुझको, अगर है प्यार

मैं यहीं हर रोज़ हूं नज़रें बिछाता
हर सुबह उम्मीद की किरणें जगाता
पर ढले जैसे यहां यह दिन बेचारा
आस सारे यही सूरज है डूबाता
हंसता मुझ पर ये संसार
रोक लो मुझको अगर है प्यार

ये समय तो बीतता ही जाएगा
कुछ तो है जो टीसता ही जाएगा
बाग़ के ये फूल भी चुभने लगेंगे
हंस, मृग और कोयल भी सुनने लगेंगे
विरह की ये वेदना अपार
रोक लो मुझको अगर है प्यार

कल को कोई गीत ना सुनाएगा
प्रेम के दो छंद ना फिर गाएगा
गंगा की लहरें भी उनसे रूठेंगी
और यमुना तट भी आंख दिखाएगा
प्रेम का ये छंद ना हो बेकार
रोक लो मुझको अगर है प्यार

बंध गया सामान मेरा
अब जाने को तैयार
रोक लो मुझको, अगर है प्यार















कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तन्हा

 वो जो किसी दिन तुम्हें चुभा होगा  देखना  गौर से  वो टूटा  होगा बिखर जाने का लिए मलाल वो भरी महफ़िल में भी तन्हा होगा।