शुक्रवार, 13 सितंबर 2019

मिसरा


तेरी आंखों में चमकूं ऐसे कि माहताब हो जाऊं
हर्फ-हर्फ जुगनू चमकें, मैं वो किताब हो जाऊं
ऐ चांद, रोज़ उतरा कर तू यूं ही छत पर
मैं किनारों पर डूब जाऊं, शब-ए-आफताब हो जाऊं

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तन्हा

 वो जो किसी दिन तुम्हें चुभा होगा  देखना  गौर से  वो टूटा  होगा बिखर जाने का लिए मलाल वो भरी महफ़िल में भी तन्हा होगा।