रविवार, 3 जनवरी 2021

गिद्ध है तू

 लाशें देख इतराने वाले

नोंच-नोंच कर खाने वाले


नीच-पतित सिद्ध है तू

हां, गिद्ध है तू।


नोटबंदी का नाग फुंफकारा

जन-जन का तू है हत्यारा


हत्यारों के कुनबे में प्रसिद्ध है तू

हां, गिद्ध है तू।


सड़कों पर मजदूर मर गए

सैंकड़ों घर से दूर मर गए

बेबस भारत चीख रहा था

तू थाली-ताली पीट रहा था


नरभक्षी पूर्णतः अशुद्ध है तू

हां, गिद्ध है तू


दहलीज पर तेरे जवान मरे हैं

धरती मां की संतान मरे हैं

पेट सबका पालने वाले

भारत के किसान मरे हैं

धनपशुओं के तलवे चाट

मोर के संग तेरा अट्टहास


   भारत भाग्य विधाता के विरुद्ध है तू

हां, गिद्ध है तू।


... असित नाथ तिवारी...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तन्हा

 वो जो किसी दिन तुम्हें चुभा होगा  देखना  गौर से  वो टूटा  होगा बिखर जाने का लिए मलाल वो भरी महफ़िल में भी तन्हा होगा।