लाशें देख इतराने वाले
नोंच-नोंच कर खाने वाले
नीच-पतित सिद्ध है तू
हां, गिद्ध है तू।
नोटबंदी का नाग फुंफकारा
जन-जन का तू है हत्यारा
हत्यारों के कुनबे में प्रसिद्ध है तू
हां, गिद्ध है तू।
सड़कों पर मजदूर मर गए
सैंकड़ों घर से दूर मर गए
बेबस भारत चीख रहा था
तू थाली-ताली पीट रहा था
नरभक्षी पूर्णतः अशुद्ध है तू
हां, गिद्ध है तू
दहलीज पर तेरे जवान मरे हैं
धरती मां की संतान मरे हैं
पेट सबका पालने वाले
भारत के किसान मरे हैं
धनपशुओं के तलवे चाट
मोर के संग तेरा अट्टहास
भारत भाग्य विधाता के विरुद्ध है तू
हां, गिद्ध है तू।
... असित नाथ तिवारी...
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