यहां तक आते-आते सूख
जाती हैं सारी नदियां
और आंखों का पानी भी
सूख जाता है
मैं प्यासा खड़ा रहा
लहरों की उम्मीदों में
सूखे दरख्तों ने
बताया यहां समंदर भी सूख जाता है
वो जो किसी दिन तुम्हें चुभा होगा देखना गौर से वो टूटा होगा बिखर जाने का लिए मलाल वो भरी महफ़िल में भी तन्हा होगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें