यहां तक आते-आते सूख
जाती हैं सारी नदियां
और आंखों का पानी भी
सूख जाता है
मैं प्यासा खड़ा रहा
लहरों की उम्मीदों में
सूखे दरख्तों ने
बताया यहां समंदर भी सूख जाता है
झूठों के सारे झूठ भी नहले निकल गए साहब हमारे दहलों के दहले निकल गए फर्जी जो निकली डिग्री तो है शर्म की क्या बात वादे भी तो सारे उनके जुमल...
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