मोहब्बत करने वालों में
किसने नफरत फैलाई है
जली बस्तियां पूछ
रहीं हैं किसने आग लगाई है
राख-खाक में जो भी
बदला वो भी तेरा हिस्सा था
राम-खुदा तू जो भी
है तेरी दुनिया बलवाई है
झूठों के सारे झूठ भी नहले निकल गए साहब हमारे दहलों के दहले निकल गए फर्जी जो निकली डिग्री तो है शर्म की क्या बात वादे भी तो सारे उनके जुमल...
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