रविवार, 14 जनवरी 2018

संघवाद के खिलाफ

गर तुम हिटलर के नाती हो, हम भी बापू के पोते हैं
आज़ाद चंद्रशेखर की आवाज़, भगत सिंह की थाती हैं।
सुन ले गोडसे की पीढ़ी तुम, हम राम-बुद्ध के वंशज हैं
तुम बिन तुगलक गर बनते हो, हम कौटिल्य शिखा लहराते हैं
तेरी हर साज़िश को प्रण से मिट्टी में हम मिलाते हैं।
गर तुम छप्पन ईंची छाती हो, हम भी हिंदुस्तानी माटी हैं
हम गंगा-जमुना की लहरें, गीता-कुरान से पोथे हैं
गर तुम हिटलर के नाती हो, हम भी बापू के पोते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मिसरा

 झूठों के सारे झूठ भी नहले निकल गए साहब हमारे दहलों के दहले निकल गए  फर्जी जो निकली डिग्री तो है शर्म की क्या बात  वादे भी तो सारे उनके जुमल...