जब से बिछड़े हो हमसे, भरोसा हुआ
लौट आओगे एक दिन जलाकर
दिया
एक उम्मीद है, एक आस
बंधी
हम न होंगे जुदा एक
आस लगी
तेरी यादों की राहों
पर चलते रहे-2
रोज़ उभरते रहे,
रोज़ ढलते रहे-2
अपनी दहलीज पर एक
दीया जला
अपनी तकती निगाहों
को दे हौसला
खून आंसू बने और
जिगर धो गए
आंखें रहती हैं नम
और जुगनू खो गए
बिछुड़न की ये ज्वाला
धधकती रही
अपनी ही अगन में हम
जलते रहे
रोज़ उभरते रहे,
रोज़ ढलते रहे-2
जब भी होली, दिवाली
मनी हर जगह
आई ईद सजी जब गली हर
जगह
मेरी आंखों में डूबी
सी यादें रहीं
तेरी यादों की
रिमझिम बरसातें रहीं
हम दहकते रहे, हम
मचलते रहे
रोज़ उभरते रहे,
रोज़ ढलते रहे-2
हम दहकते रहे, हम
मचलते रहे।
...असित नाथ
तिवारी...
05-01-21
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