चमक
उठी सन सत्तावन में
वो
तलवार पुरानी थी
अब
तो ऐसा लगता है कि
वो
लक्ष्मीबाई की नादानी थी।
झांसी
का वो किला घिरा था
घर
के भेदी की गद्दारी से
और
फिरंगी फौज ने घेरा
लक्ष्मीबाई
को मक्कारी से।
एक
गर्जना और हो उठी
चमक
गई तलवार पुरानी
अल्लाह
का ले नाम कूद गया
युद्ध
में आई नई जवानी,
वो
गुलाम गौस था जिसने
झांसी
की लाज बचाई थी
भारत
मां की खातिर बेटे ने
अपनी
जान गंवाई थी।
बोलो
झांसी की वीर सपूता
कौन
सा मुंह दिखलाओगी ?
अगर
सामने गौस आ गए
कैसे
आंख मिलाओगी ?
आज
तेरी झांसी में ही
निर्लज्ज
नारे लहराते हैं
तेरी
कुर्बानी के बदले
सब
हिंदू राष्ट्र दोहराते हैं
तुमने
भी तो कभी नहीं
हिंदू
राष्ट्र की बात कही
मंगल
पाण्डेय देखो कैसे अब
तेरी
कुर्बानी का मोल लगाते हैं
कब्र
पे तेरी चढ़-चढ़ वो
उन्मादी
नारे दोहराते हैं
आज
तेरी दावेदारी करते वो
जो
नित दंगे करवाते हैं
अपनी
सत्ता की लिप्सा में
वो औरों
को मरवाते हैं
तुमने
तो कभी नहीं
जाति-धर्म
की बात कही।
आज
तेरे नाम पर वो
निर्लज्ज
नारे लहराते हैं
तेरी
कुर्बानी के बदले
सब
हिंदू राष्ट्र दोहराते हैं।
और
भगत सिंह, कैसे हो तुम
जाति-धर्म
बेकार की बातें
यही
तो कहते थे न तुम
धर्म
का जहर लाईलाज है
यही
तो कहते थे न तुम
तब
न समझा, अब ना समझा
ना
ही समझने को है तैयार
चूम
लिया जो फंदा तुमने
वो
लगता इनको बेकार
इनको
हिंदू राष्ट्र चाहिए
भाड़
में जाए कुर्बानी
सत्ता
भोगी भीड़ आज
करती
रहती है मनमानी।
कत्ल
हो गए जफर बहादुर
खुदी
राम कुर्बान हुए
जुब्बा
साहनी की शहादत
और
आज़ाद बलिदान हुए
अशफाक
को कैसे सब
अपना
मुंह दिखलाओगे
सामने
गर टीपू मिल गए
कैसे
आंख मिलाओगे ?
तुममें
से तो किसी ने नहीं
हिंदू
राष्ट्र की बात कही।
बोलो
भगत सिंह, बोलो लक्ष्मी
बोलो
कुअंर सिंह, बोलो हलकारी
बोलो-बोलो
जलियांवाला बाग बोलो तुम
अब
तो चीखे बल्लभ की सरदारी
इन
जहरीले नागों का फन कुचले
कोई
ऐसा सुभाष अब आए।
अंग्रेजों
की इस पीढ़ी पर
कोई
गांधी बन छा जाए।
अनगिन
बलिदानों की लाज बचाने को
अब
कोई सृजन-किरण छिटकाओ
आओ
गोपाल सिंह नेपाली आओ
आओ
नागार्जुन, दिनकर आओ
आओ मानवता
के रखवालों
आओ
भारत के असली लाल
आओ-आओ
जयहिंद पुकारो
आओ
बाल, पाल और लाल
आओ
भारत मां का आंचल
फिर
तुम्हें पुकारने आया है
आओ
भारत के भाल पर फिर
सांप्रदायिक
नाग चढ़ आया है।
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