माना आज जुगनुओं के
शहर में जश्न का ही किस्सा है
माना आज तितलियों के
बहर में रंगीनियों का हिस्सा है
माना आज कलियों के
ऊपर भंवरों का गुंजन गान होगा
माना आज तटों से
टकराती लहरों का मधुरिम तान होगा
पर ये आज बस शाम
होते ही मिट जाएगा
फिर अकेले में कभी
मेरा चेहरा याद आएगा
एक लम्हा फिर तुम्हें
ग़मज़दा कर जाएगा-2
मौसमों की रेजगारी
वसंत लेकर आएगी
हर चमन में भंवरे
होंगे, कली-कली मुस्काएगी
फिर कहीं कोयल विरह
के राग गुनगुनाएगी
और कोयल के सुरों
में नाम मेरा आएगा
सुन के मेरा नाम
मौसम ग़मज़दा हो जाएगा
एक लम्हा फिर तुम्हें
ग़मज़दा कर जाएगा-2
आंख तेरी जब कभी रौशनी
से चौंधियाएगी
और मेरी पलकों से कुछ
ढुलक सी जाएगी
और क़तरा-क़तरा खूं
के दिल में उतर जाएंगे
एक पल को ही सही वो
वक्त याद आएगा
बीते कल से जब
तुम्हारा आज टकराएगा
एक लम्हा फिर तुम्हें
ग़मजदा कर जाएगा-2
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