बुधवार, 8 मई 2019

इंतज़ार

1.
मुझे अब भी इंतज़ार रहता है
बस कहता नहीं हूं मैं
क़तरा-क़तरा समंदर चाहत का बन गया
पलकों में क़ैद रहता हूं
बस बहता नहीं हूं मैं।

2.
उसका चेहरा सच की किताब लगता है
आसमां के सीने पर सूरज इनकलाब लगता है
ऐ समंदर तेरे सीने में जो हर रात चमकता है
मेरी आंखों में वो माहताब लगता है
मेरे सीने में सुराख जिसने की, वही खंजर
उसके हाथों में जश्न-ए-खिताब लगता है

रविवार, 5 मई 2019

कुछ शेर

उसके-मेरे दरमियां ये फासला होना ही था
जो अपना था ही नहीं वो जुदा होना ही था
दिल को संभालो, रोको, काबू में रखो साहब
ऐसी मोहब्बत का यही सिला होना ही था


इस दौर में एहसास की बात मत कीजिए
आपने क्या-क्या किया ये याद मत कीजिए
रोकिए खुद को टूटने से, बिखरने से, मिट जाने से
किसी के लिए भी खुद को बर्बाद मत कीजिए


शाख से टूटने से पहले बेजान होना पड़ता है
हवाएं कांधा देती हैं फिर खाक होना पड़ता है
अब शिकायत उनसे भला करें भी तो क्या करें
कब्र ही तो है दिल भी, जख्मों को दफ्न होना पड़ता है


मेरे टूटने से, बिखरने से, मिट जाने से
चैन तुझे मिलता है तो मिल जाने दे
मेरा वजूद तुझमें मिलकर खत्म होना था
क्या बुरा कि जुदाई की आग में जल जाने दे


उनकी आंखों में अजीब से शोले थे
मैं जल रहा था, मेरे दिल में फफोले थे
उनको जब तक ग़रज थी आंखों में पानी रखा
वो यूं बदल गए, हम कितने भोले थे


इससे पहले कि दिल के हाथों मजबूर हो जाऊं
बेहतर होगा कि मैं तुमसे दूर हो जाऊं
या फिर टूट के बिखर जाऊं शाख से पत्तों की तरह
या फिर टूटे हुए शीशे सा चकनाचूर हो जाऊं
दूर से ही देखा करूं तेरी हर परवाज को मैं
जो ना देख सकूं तो जिंदगी को नामंजूर हो जाऊं


गुरुवार, 2 मई 2019

दो आंखें शिद्दत वाली

हर खुली खिड़की में झांको
तो भी चांद नहीं दिखता
बस एक खिड़की खुलते ही
पूरा चांद वहीं दिखता

घर-घर, छत-छत गली-गली में
कोई आता-जाता है
बस एक छत है जिस पर अक्सर
चांद उतर कर आता है

मन में बसी एक मूरत हो तो
कोई सूरत क्या कर ले
जब छत पर चांद उतर आए तो
आसमान भी क्या कर ले

लेकिन चांद का इतराना ये
तब तक ही कायम रहता है
कोई शिद्दत से छत पर
हर रोज निहारा करता है

दो आंखें शिद्दत वाली जब
बिछुड़न के आंसू रोती हैं
फिर कोई छत ना रौशन होती
फिर कोई चांद नहीं रहता

हर खुली खिड़की में झांको
तो भी चांद नहीं दिखता
बस एक खिड़की खुलते ही
पूरा चांद वहीं दिखता

तन्हा

 वो जो किसी दिन तुम्हें चुभा होगा  देखना  गौर से  वो टूटा  होगा बिखर जाने का लिए मलाल वो भरी महफ़िल में भी तन्हा होगा।