रविवार, 3 मार्च 2019

चुपके-चुपके


चुपके-चुपके जाने कब वो
मेरे दिल का खास हो गई-2
धड़कनों के साथ चल पड़ी
और इक एहसास हो गई

वो लगी इक फूल सी मुझे
तितलियों का झुंड सी लगी-2
जब लगी वो चांद सी लगी
और चलती सांस हो गई-2

इक नदी की धार सी बही
इक हवा का झोंका वो लगी
चांदनी की खीर की मिठास
जिंदगी का स्वाद हो गई-2

जब खिली वो मेरे अधरों पर
इक सुखद मुस्कान हो गई
आंखों की वो जाने किस तरह
इक ढुलकती धार हो गई
चुपके-चुपके जाने कब वो
मेरे दिल का खास हो गई-2

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