गुरुवार, 29 मार्च 2018

चंदा मामा कभी ना आया

चंदा मामा आएगादूध-भात लाएगा
चांदी के चम्मच से तुझको खिलाएगा
माई ने कह दियागुनगुनाते रहे हम
माड़भातनूून खाते रहे हम
माटी के चूल्हे पर तसला चढ़ाती थी
पानी खदकने पर खीर बताती थी
खीर के सपने सजाते रहे हम
माड़भातनून खाते रहे हम
माई ने आंचल को कंबल बताया था
माघ के पाला में उसको ओढ़ाया था
साड़ी को गद्दा समझाते रहे हम
माड़भातनून खाते रहे हम
आंखों के आंसू वो हमसे छुपाती थी
पानी में नून डाल हमको पिलाती थी
शर्बत समझ जीभ चटखाते रहे हम
माड़भातनून खाते रहे हम
माई ने माड़ पियाभात नहीं खाया
माई ने भात खाया नून नहीं मिलाया
माई का स्वाद जान इतराते रहे हम
माड़भातनून खाते रहे हम

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तन्हा

 वो जो किसी दिन तुम्हें चुभा होगा  देखना  गौर से  वो टूटा  होगा बिखर जाने का लिए मलाल वो भरी महफ़िल में भी तन्हा होगा।