रविवार, 14 जनवरी 2018

इस दौर में

इस दौर का सवाल है
बिजली, पानी, रोजगार कहां हैं ?
जवाबदेहों का जवाब है
औरंगजेब अत्याचारी था
हम पूछ रहे हैं 
स्कूल, कॉलेजों में पढ़ाने वालों की कमी क्यों ?
वो बता रहे हैं
बाबर आक्रांता था
वो गूंजते सवालों को टाल रहे हैं
हम टलते सवालों को उठा रहे हैं
उनके टालने का अंदाज
हमारे सवालों को धारदार बना रहा है

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तन्हा

 वो जो किसी दिन तुम्हें चुभा होगा  देखना  गौर से  वो टूटा  होगा बिखर जाने का लिए मलाल वो भरी महफ़िल में भी तन्हा होगा।