रविवार, 14 जनवरी 2018

तय करो

तय करो, भविष्य का हिंदुस्तान कैसा चाहिए
हंसती हुई भारत माता या श्मसान जैसा चाहिए।
जलती लाशों की गंध या महक हो गुलाब की
राख-राख बस्तियां या मुस्कान हर जनाब की
गली-गली खून या गंगा-जमुनी तान जैसा चाहिए
तय करो, भविष्य का हिंदुस्तान कैसा चाहिए।
तय करो कि वक्त इंतज़ार करता है नहीं
तय करो कि मुल्क कंठहार बनता है नहीं
मां की गोद में पड़ीं हों लाश निज संतान की
मां की आंचल फाड़ते हों संतान हिंदुस्तान की
तय करो कि है ज़रुरी मुस्कान या श्मसान अब
तय करो कि है जरुरी दंगा या अमान अब
तय करो की मां की गोद में भरोगे क्या अब तुम
तय करो कि मुल्क में माहौल रचोगे क्या अब तुम
तय करो कि मजहबी ईमान कैसा चाहिए
तय करो, भविष्य का हिंदुस्तान कैसा चाहिए।

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तन्हा

 वो जो किसी दिन तुम्हें चुभा होगा  देखना  गौर से  वो टूटा  होगा बिखर जाने का लिए मलाल वो भरी महफ़िल में भी तन्हा होगा।