रविवार, 14 जनवरी 2018

राजा राष्ट्रवाद पगुराता है

जन-गण-मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता है
भूखी जनता रोटी मांगे
राजा राष्ट्रवाद पगुराता है
कहे विदर्भ जब पानी-पानी
जब मराठवाड़े की सूखी जवानी
भूखे बुंदेलों का रोना
राष्ट्रद्रोह कहलाता है
राजा राष्ट्रवाद पगुराता है
जंगल छीनी, बेघर कबूतरा
जल-ज़मीन से वंचित बिरसा
झारखंड का पाहन रोता है, चिल्लाता है
राजा राष्ट्रवाद पगुराता है
छत्तीसगढ़ का निजाम बेरहम
आदिवासियों पर जुल्म-ओ-सितम
आंध्र का सलवा-जुडूम हत्यारा
असम-बंग को दंगों ने मारा
असहमत हर सवाल पाक परस्त कहलाता है
राजा राष्ट्रवाद पगुराता है

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तन्हा

 वो जो किसी दिन तुम्हें चुभा होगा  देखना  गौर से  वो टूटा  होगा बिखर जाने का लिए मलाल वो भरी महफ़िल में भी तन्हा होगा।