रविवार, 14 जनवरी 2018

अब भरम रह गए

तुम न तुम रह गए,  हम न हम रह गए
अब तो रिश्तों के खाली भरम रह गए
साथ चलकर भी मंजिल वो पा न सके
जिनके पीछे सफर में कदम रह गए
न खुशी रह गई, न गम रह गए
तुम न दुश्मन बने, न सनम रह गए....
तुम न तुम रह गए, हम न हम रह गए
अब तो रिश्तों के खाली भरम रह गए
अब तो एहसासों के बस कफन रह गए
मोहब्बत में कैसे कहें क्या मिला
चंद यादों के दिल में जख्म रह गए
तुम न तुम रह गए, हम न हम रह गए
अब तो रिश्तों के खाली भरम रह गए.

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तन्हा

 वो जो किसी दिन तुम्हें चुभा होगा  देखना  गौर से  वो टूटा  होगा बिखर जाने का लिए मलाल वो भरी महफ़िल में भी तन्हा होगा।