वो जो किसी दिन तुम्हें चुभा होगा
देखना गौर से वो टूटा होगा
बिखर जाने का लिए मलाल वो
भरी महफ़िल में भी तन्हा होगा।
असित नाथ तिवारी की कविताएं
वो जो किसी दिन तुम्हें चुभा होगा
देखना गौर से वो टूटा होगा
बिखर जाने का लिए मलाल वो
भरी महफ़िल में भी तन्हा होगा।
खा के भर पेट लिट्टी-चोखा, चलते गमछा झार के
हम हैं बिहारी भइया हम हैं बिहार के
डूबते सूरज को अर्घ्य हम देते, उगते को परनामी
धरती मइया को अगोरते, भंइसी को दाना-पानी
बंबई, दिल्ली, कलकत्ता में.... हो$$$$$
बंबई, दिल्ली, कलकत्ता में चमकें हम कपार पे
हम हैं बिहारी भइया, हम हैं बिहार के
ठेकुआ, पिड़ुकिया छान के चलते गमछा में सत्तु सानें
मारें रिजल्ट हम आइएएस के, करते हम कप्तानी
आ चना चबाने भरी खूब चबावें हो$$$$$$
चना-चबेना खूब चबावैं करें मेहनत खूब मजूरी
चोरी-ठगी हमको ना आवै, आवै ना जी हुजूरी
हमरे पसीनवा से चमके है देशवा संसार में
हम हैं बिहारी भइया हम हैं बिहार के
बोरा-झोरा ले के निकलते, डिग्री ले के आते
कुदाल फावड़ा टोकरी उठा के संसद हम ही बनाते
चंद्रयान को भी रच देते, पुल-पुलिया भी गढ़ देते
अरे हमरे बदन से टपके पसीनवा ठेठ ईमान के
हम हैं बिहारी भइया हम हैं बिहार के
बाकी दुनिया को तुम केवल बस लड़की ही लगती हो
एक मुझ दीवाने की खातिर इतना क्यों तुम सजती हो
ये नकली श्रृंगार ज़माने को ही अच्छे लगते हैं
मुझको तो तुम रात-अंधेरे चांद सरीखी लगती हो।
ये जो पानी में झिलमिल सा रोज़ ही चांद उतरता है
मेरी आंखों में तुम वो ही चांद सा झिलमिल करती हो
और कल ही रात जो तुमको देखा मद्धम रौशन कमरे में
सुंदरता को कह के आया तुम उसके जैसी लगती हो
चांद भी तुमको देख कर अब जलता होगा मन ही मन
चांद को भी मालूम है ये तुम उससे सुंदर लगती हो।
तुमको खोकर जो भी पाया
सब झूठा है
सच कहता हूं रब झूठा है
जिनके सम्मुख जोड़े मैंने
हाथ प्रार्थनाओं में झुक कर
अश्रु से धोए मैंने जिनके चौखट
घंटों रुक कर
पत्थर से ज्यादा न निकले
मंदिर-मंदिर बैठे भगवान
मेरी आहें जब भी निकलीं
बहरे हो गए उनके कान
जानता हूं भाग्य मेरा मुझसे रूठा है
सच कहता हूं रब झूठा है
पाषाणों ने सुनी ही कब है
प्रेम की पीड़ा, प्यार की भाषा
उन बहरे भगवानों से क्यों
पाले हृदय कोई अभिलाषा
देवों आगे जो चढ़ता
हर वो सिक्का खोटा है
सच कहता हूं रब झूठा है।
मुल्क में मेरे चुनाव की तैयारी हो रही है
सुना है चाकुओं की पसलियों से यारी हो रही है
वो बता रहे हैं कि जनहित में पाला बदल लिया
हमें मालूम है कि जनता से मक्कारी हो रही है।
जिस नदिया को पूर्ण सफर कर
सागर तट जाना होता है
लय-छंद की जिस सरिता को
घाटों से टकराना होता है
उसके जीवन की सरिता को
निश्छल ही बहना पड़ता है
और हृदय के महाकाव्य को
आंखों से कहना पड़ता है.
महाकाव्य है वही
रचा जिसे प्रेम के छंदों ने
महाकाव्य है वही
गहा जिसे भावों के मकरंदों ने
और पवित्रता की वेदी पर
जो तप कर तेज निखरता हो
महाकाव्य है वही
जो मनुजता से रोज सवंरता हो.
आर्यावर्त के शांतिकुंज में हुई समस्या भारी
एक ही रात में कई घरों में हो गई सेंधमारी
सिन्हा जी की दुल्हनिया के गहने ले गए चोर
पांडे जी भी खोज रहे हैं साइकिल चारों ओर
पासवान जी की गाड़ी का पहिया हो गया गायब
और ठाकुर जी सोच रहे हैं एसी कहां गई साहब
चोरों का आतंक बढ़ा
मचा घर-घर में हाहाकार
पहले तो सिर्फ पहिया गई थी
अब तो गायब हो गई कार
आर्यावर्त में खींच गई है चिंता की लकीर
चौकीदार के होते कैसे लुट गया ये प्राचीर
रात-रात भर डंडे फटकारे
और सीटी बजाता
चौकीदार है पूरी रात गलियों में आता-जाता
बड़ा सजग है, बड़ा सुघड़ है
दिखता संत समान
दाढ़ी-बाल तो ऐसे रखता जैसे संत महान
ऐसे चौकीदार के होते कैसे लग गई सेंध
मंथन के बाद हाथ लगी युवा मंडली के गेंद
चोरों की धरपकड़ के लिए खूब सोच-विचार
कुछ युवकों की टीम हो गई फिर तैयार
आधी रात जब हुई अचानक निकला चौकीदार
उसके पीछे टपका रहे हैं गली के कुत्ते लार
उन कुत्तों के सामने फेंक रहा वह बोटी
कुछ कुत्तों के सामने रूखी-सूखी रोटी
दुम हिलाते ये कुत्ते भूल गए हैं भौंकना
और चौकीदार आगे बढ़ रहा होकर बेहद चौकन्ना
कर्नल केवट जी के घर का पहले तोड़ा ताला
फिर बंसल जी के घर से निकला ओढ़े चादर काला
युवा मंडली थी चौकन्ना
शोर मचा चहुंओर
काला चादर उतर गया था चौकीदार ही निकला चोर।
असित नाथ तिवारी
वो जो किसी दिन तुम्हें चुभा होगा देखना गौर से वो टूटा होगा बिखर जाने का लिए मलाल वो भरी महफ़िल में भी तन्हा होगा।