गुरुवार, 18 सितंबर 2025

मिसरा

 झूठों के सारे झूठ भी नहले निकल गए

साहब हमारे दहलों के दहले निकल गए 

फर्जी जो निकली डिग्री तो है शर्म की क्या बात 

वादे भी तो सारे उनके जुमले निकल गए।

मिसरा

 कभी राम की आड़ में 

कभी पाकिस्तान की आड़ में 

वो चुनाव ही लड़ता है 

मुसलमान की आड़ में;


कहता था कि दिखाएंगे 

लाल आंखें चीन को

अब नैन मटक्का करने लगा 

ट्रंप पहलवान की आड़ में।

राजनीति का गोरखधंधा

आप कीजिए धर्म की रक्षा 

वो छापेंगे नोट 

वो बनेंगे राजा-मंत्री

आप डालिए वोट;


उनका बेटा बैठ हवाई जहाज 

पढे़गा जा के लंदन

आपका बेटा बांध मुरेठा

फिरेगा गोपाल ठनठन।


सुना कि अब वो जाग गया है 

पर मुंह नहीं है धोया 

खुलते ही उसके मुंह से 

निकले दुर्गंध का लोया 


जगने-जगने की बात करे वो

जो मन में राखे खोट

वो बनेगा राजा-मंत्री 

आप डालिए वोट।

शुक्रवार, 29 अगस्त 2025

चल साधो उस गांव

 चल साधो उस गांव जहां अब भी अंधेरा है 

उस आंगन में जिसको अब भी भूख ने घेरा है 

सूरज रोज़ निकलता होता रोज उजाला है 

लेकिन इस घर का दिन भी होता काला है।


काली अंधियारी छाई है 

आंगन का चूल्हा उदास है 

पेट धंसा, हड्डी दिखती है 

और उदासी का जहां रहता डेरा है 

चल साधो उस गांव जहां अब भी अंधेरा है।


चल साधो कि वहां तुम्हें चलना ही होगा 

देख सही तो क्या उसने अब तक है भोगा

चल साधो कि खोज छुपा कहां सवेरा है 

चल साधो उस गांव जहां अब भी अंधेरा है। 


बाभन, बनिया, दलित, मुसलमां 

सिख, इसाई, बौद्ध, जैनिया

है कौन यहां काले दुख ने

जिसको न घेरा है 

चल साधो उस गांव जहां अब भी अंधेरा है।


कि तुझको चलता देख भरोसा 

तुझसे ही सबको है आशा 

तेरी आंखों में ही सपनों का बसेरा है 

चल साधो उस गांव जहां अब भी अंधेरा है 

अब भी अंधेरा है।

मंगलवार, 12 दिसंबर 2023

तन्हा

 वो जो किसी दिन तुम्हें चुभा होगा 

देखना  गौर से  वो टूटा  होगा


बिखर जाने का लिए मलाल वो

भरी महफ़िल में भी तन्हा होगा।

शुक्रवार, 17 नवंबर 2023

हम हैं बिहारी

 खा के भर पेट लिट्टी-चोखा, चलते गमछा झार के 

हम हैं बिहारी भइया हम हैं बिहार के 

डूबते सूरज को अर्घ्य हम देते, उगते को परनामी

धरती मइया को अगोरते, भंइसी को दाना-पानी

बंबई, दिल्ली, कलकत्ता में.... हो$$$$$

बंबई, दिल्ली, कलकत्ता में चमकें हम कपार पे

हम हैं बिहारी भइया, हम हैं बिहार के

ठेकुआ, पिड़ुकिया छान के चलते गमछा में सत्तु सानें

मारें रिजल्ट हम आइएएस के, करते हम कप्तानी

आ चना चबाने भरी खूब चबावें हो$$$$$$

चना-चबेना खूब चबावैं करें मेहनत खूब मजूरी

चोरी-ठगी हमको ना आवै, आवै ना जी हुजूरी

हमरे पसीनवा से चमके है देशवा संसार में

हम हैं बिहारी भइया हम हैं बिहार के 

बोरा-झोरा ले के निकलते, डिग्री ले के आते

कुदाल फावड़ा टोकरी उठा के संसद हम ही बनाते

चंद्रयान को भी रच देते, पुल-पुलिया भी गढ़ देते

अरे हमरे बदन से टपके पसीनवा ठेठ ईमान के

हम हैं बिहारी भइया हम हैं बिहार के 

 

शुक्रवार, 21 जुलाई 2023

चांद जलता होगा

बाकी दुनिया को तुम केवल बस लड़की ही लगती हो

एक मुझ दीवाने की खातिर इतना क्यों तुम सजती हो

ये नकली श्रृंगार ज़माने को ही अच्छे लगते हैं

मुझको तो तुम रात-अंधेरे चांद सरीखी लगती हो।


ये जो पानी में झिलमिल सा रोज़ ही चांद उतरता है

मेरी आंखों में तुम वो ही चांद सा झिलमिल करती हो‌

और कल ही रात जो तुमको देखा मद्धम रौशन कमरे में

सुंदरता को कह के आया तुम उसके जैसी लगती हो

चांद भी तुमको देख कर अब जलता होगा मन ही मन

चांद को भी मालूम है ये तुम उससे सुंदर लगती हो।


मिसरा

 झूठों के सारे झूठ भी नहले निकल गए साहब हमारे दहलों के दहले निकल गए  फर्जी जो निकली डिग्री तो है शर्म की क्या बात  वादे भी तो सारे उनके जुमल...