वक्त के हाथ से यूं फिसलता
रहा
जैसे मुट्ठी से रेत फिसलती
रही
वो जाते रहे सामने से मेरे
सांसें मोहब्बत की मचलती
रहीं
वक्त के हाथ से....
अभी हुस्न का उनको गुमान है
अभी रूप के हैं दीवाने कई
अभी तो है भवंरों गुंजन
यहां
अभी तो बनेंगे फसाने कई
वक्त के हाथ से यूं फिसलता
रहा
जैसे मुट्ठी से रेत फिसलती
रही
वो जाते रहे सामने से मेरे
सांसें मोहब्बत की मचलती रहीं
हम तो रेत की मानिंद बिखर
जाएंगे
वो भी मूरत सी कोई निखर
जाएगी
बात जब भी मोहब्बत की होगी
कहीं
सूरत मेरी नज़र में उतर
जाएगी
क्योंकि चाहत कभी भी है
मरती नहीं
बन मोहब्बत है सांसों में
चलती रही
वक्त के हाथ से यूं फिसलता
रहा
जैसे मुट्ठी से रेत फिसलती
रही
वो जाते रहे सामने से मेरे
सांसें मोहब्बत की मचलती रहीं
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