शुक्रवार, 21 जुलाई 2023

चांद जलता होगा

बाकी दुनिया को तुम केवल बस लड़की ही लगती हो

एक मुझ दीवाने की खातिर इतना क्यों तुम सजती हो

ये नकली श्रृंगार ज़माने को ही अच्छे लगते हैं

मुझको तो तुम रात-अंधेरे चांद सरीखी लगती हो।


ये जो पानी में झिलमिल सा रोज़ ही चांद उतरता है

मेरी आंखों में तुम वो ही चांद सा झिलमिल करती हो‌

और कल ही रात जो तुमको देखा मद्धम रौशन कमरे में

सुंदरता को कह के आया तुम उसके जैसी लगती हो

चांद भी तुमको देख कर अब जलता होगा मन ही मन

चांद को भी मालूम है ये तुम उससे सुंदर लगती हो।


मंगलवार, 18 जुलाई 2023

रब झूठा है

 तुमको खोकर जो भी पाया

सब झूठा है

सच कहता हूं रब झूठा है


जिनके सम्मुख जोड़े मैंने

हाथ प्रार्थनाओं में झुक कर

अश्रु से धोए मैंने जिनके चौखट

घंटों रुक कर

पत्थर से ज्यादा न निकले

मंदिर-मंदिर बैठे भगवान

मेरी आहें जब भी निकलीं

बहरे हो गए उनके कान

जानता हूं भाग्य मेरा मुझसे रूठा है

सच कहता हूं रब झूठा है 


पाषाणों ने सुनी ही कब है

प्रेम की पीड़ा, प्यार की भाषा

उन बहरे भगवानों से क्यों

पाले हृदय कोई अभिलाषा 

देवों आगे जो चढ़ता 

हर वो सिक्का खोटा है 

सच कहता हूं रब झूठा है।








तन्हा

 वो जो किसी दिन तुम्हें चुभा होगा  देखना  गौर से  वो टूटा  होगा बिखर जाने का लिए मलाल वो भरी महफ़िल में भी तन्हा होगा।