शुक्रवार, 6 जनवरी 2023

जीवन सरिता

जिस नदिया को पूर्ण सफर कर

सागर तट जाना होता है

लय-छंद की जिस सरिता को

घाटों से टकराना होता है

उसके जीवन की सरिता को

निश्छल ही बहना पड़ता है

और हृदय के महाकाव्य को

आंखों से कहना पड़ता है.


महाकाव्य है वही

रचा जिसे प्रेम के छंदों ने

महाकाव्य है वही

गहा जिसे भावों के मकरंदों ने

और पवित्रता की वेदी पर

जो तप कर तेज निखरता हो

महाकाव्य है वही

जो मनुजता से रोज सवंरता हो.

तन्हा

 वो जो किसी दिन तुम्हें चुभा होगा  देखना  गौर से  वो टूटा  होगा बिखर जाने का लिए मलाल वो भरी महफ़िल में भी तन्हा होगा।