सावन की रिमझिम बूंदों संग
जब भी बादल दिखते हैं
एक पपीहे के मन में
ये आस जाग सी जाती है
हां, दिन एक ऐसा आएगा
जब वो खुद चलकर आएगी
था प्यार मुझी से उसको भी
वो मुझे बताकर जाएगी
सावन में कोयल जब गाए
ताल-तलैया नदियां उफनाएं
जब पुरवइया सिहर-सिहर कर
सनसन-सनसन तान सुनाए
एक गिरिया के मन में
ये आस जाग सी जाती है
हां, एक दिन गौरैया आएगी
था प्यार मुझी से उसको भी
वो मुझे बताकर जाएगी