रविवार, 10 मार्च 2019

था प्यार मुझी से

सावन की रिमझिम बूंदों संग
जब भी बादल दिखते हैं
एक पपीहे के मन में
ये आस जाग सी जाती है
हां, दिन एक ऐसा आएगा
जब वो खुद चलकर आएगी
था प्यार मुझी से उसको भी
वो मुझे बताकर जाएगी

सावन में कोयल जब गाए
ताल-तलैया नदियां उफनाएं
जब पुरवइया सिहर-सिहर कर
सनसन-सनसन तान सुनाए
एक गिरिया के मन में
ये आस जाग सी जाती है
हां, एक दिन गौरैया आएगी
था प्यार मुझी से उसको भी
वो मुझे बताकर जाएगी




रविवार, 3 मार्च 2019

चुपके-चुपके


चुपके-चुपके जाने कब वो
मेरे दिल का खास हो गई-2
धड़कनों के साथ चल पड़ी
और इक एहसास हो गई

वो लगी इक फूल सी मुझे
तितलियों का झुंड सी लगी-2
जब लगी वो चांद सी लगी
और चलती सांस हो गई-2

इक नदी की धार सी बही
इक हवा का झोंका वो लगी
चांदनी की खीर की मिठास
जिंदगी का स्वाद हो गई-2

जब खिली वो मेरे अधरों पर
इक सुखद मुस्कान हो गई
आंखों की वो जाने किस तरह
इक ढुलकती धार हो गई
चुपके-चुपके जाने कब वो
मेरे दिल का खास हो गई-2

तन्हा

 वो जो किसी दिन तुम्हें चुभा होगा  देखना  गौर से  वो टूटा  होगा बिखर जाने का लिए मलाल वो भरी महफ़िल में भी तन्हा होगा।