आंख खुली, खिड़की खुली माहताब देख लिया
सुबह-सुबह मैंने अजीम खिताब देख लिया
अब क्या ज़िक्र करूं किसी लैला, किसी शीरी, किसी हीर का मैं
एक भोली सी सूरत में सबका जवाब देख लिया
सुबह-सुबह मैंने अजीम खिताब देख लिया
अब क्या ज़िक्र करूं किसी लैला, किसी शीरी, किसी हीर का मैं
एक भोली सी सूरत में सबका जवाब देख लिया