सोमवार, 17 सितंबर 2018

बग़ावत होनी चाहिए


जब जुल्म हो तो बग़ावत होनी चाहिए
इंसान की हैवान से अदावत होनी चाहिए
राख में तब्दील हों राजाओं के अहंकार
हर ग़रीब-मजदूर की ये चाहत होनी चाहिए

ज़मीन हमारी, मिल तुम्हारा
संसाधन हमारे, विकास तुम्हारा
इस पूंजीवादी कब्जे की मुखालिफत होनी चाहिए
जब जुल्म हो तो बग़ावत होनी चाहिए
इंसान की हैवान से अदावत होनी चाहिए


ज़हर में तब्दील जो कर रहे हैं दरिया को
मौत में तब्दील जो कर रहे हैं हवा को
जंगलों में बो रहे हैं इस्पात के कारखाने और
खेतों से उगल रहे हैं बारूद के गोले जो
पूंजी के इन भेड़ियों की हजामत होनी चाहिए
जब जुल्म हो तो बग़ावत होनी चाहिए
इंसान की हैवान से अदावत होनी चाहिए


गर जिंदगी में है भरोसा युद्ध का ऐलान कर
हक की हर बात पर बग़ावत होनी चाहिए
जब जुल्म हो तो बग़ावत होनी चाहिए
इंसान की हैवान से अदावत होनी चाहिए




तन्हा

 वो जो किसी दिन तुम्हें चुभा होगा  देखना  गौर से  वो टूटा  होगा बिखर जाने का लिए मलाल वो भरी महफ़िल में भी तन्हा होगा।